सर्वोच्च मानवाधिकार संक्षारण भारत सरकार के विधानाअंतर्गत पंजीकृत संख्या हैं जो मानवाधिकार हनन को रोकने के लिए प्रयत्नशील रहती हैं |
सर्वोच्च मानवाधिकार संक्षारण द्वारा अब तक अनेक मामलों में आवेदन प्राप्त होने पर या संज्ञान में लेकर मानवाधिकार हनन को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं, जिसका सीधा लाभ पीड़ित पक्ष को मिला हैं | मानवाधिकार हनन के मामलों में सूचना प्राप्त होते ही संबंधित अधिकारियों, विभागों व निकायों के संज्ञान में मामलें को लाने के साथ ही पीड़ित अथवा पीड़िता को न्यायिक उपचार एवं क्षतिपूर्ति दिलाना भी संख्या की प्राथमिकता में सर्वोच्च हैं | सर्वोच्च मानवाधिकार संरक्षण विभिन्न सरकारी विभागों, निकायों, विधिवेत्ताओं, जागरूक नागरिकों और आम लोगो में संपर्क स्थापित कर और उनका सहयोग लेकर इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए प्रयत्नशील हैं |
श्रमिक शोषण | दहेज | फर्जी मुठभेड़ | बाल श्रम | झूठे मामले | बलात्कार | भूखमरी | दहेज़ हत्या | महिला उत्पीड़न | दूसरी शादी | कैदियों का उत्पीड़न | साम्प्रदायिक हिंसा ...
मानवाधिकार की स्थापना 2 अक्टूबर, 1993ई में हुई | जिसका उद्देश्य नौकरशाही पर रोक लगाना, मानवाधिकारों के हनन को रोकना तथा लोक सेवक द्वारा उनका शोषण करने में अंकुश लगाना हैं| मानवाधिकार की सुरक्षा के बिना सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक आजादी खोखली हैं | मानवाधिकार की लड़ाई हम सभी की लड़ाई हैं | विश्व भर में नस्ल, धर्म, जाती के नाम पर मानव द्वारा मानव का शोषण किया जा रहा हैं | अत्याचार एवं जुल्म के पहाड़ तोड़े जा रहे हैं | इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए मानवाधिकार की स्थापना एवं सम्बंधित कानून बनाये गये |
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